जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का संक्षिप्त परिचय
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत् परिषद् द्वारा 14 जनवरी, सन् 1957 में जगद्गुरु की मूल उपाधि से विभूषित किया गया। आपने 'प्रेम रस मदिरा', 'प्रेम रस सिद्धांत' और 'राधा गोविन्द गीत' जैसे अनेक दिव्य ग्रंथों की रचना की है जो संपूर्ण विश्व को भक्ति करने की सही राह दिखा रहे हैं। आपके द्वारा विश्व को दी गई अनमोल धरोहरों में भक्ति धाम मनगढ़ स्थित - भक्ति मंदिर, वृन्दावन धाम स्थित - प्रेम मंदिर और बरसाना धाम स्थित - कीर्ति मंदिर आदि प्रमुख हैं। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने गरीबों, असहायों और साधु-सन्तों की चिकित्सीय सेवा हेतु अलग-अलग स्थानों पर पूर्णतः निःशुल्क, पूर्ण सुसज्जित चिकित्सालयों की स्थापना की है। प्रथम-जगद्गुरु कृपालु चिकित्सालय, भक्ति धाम- मनगढ़, कुण्डा, जिला-प्रतापगढ़, उ.प्र., द्वितीय- रँगीली महल, बरसाना और तृतीय वृन्दावन, जिला-मथुरा, उ.प्र., जहाँ प्रतिदिन हज़ारों रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।
कल्याण एवं परोपकार के उद्देश्य से ही गरीब ग्रामीण बालिकाओं के लिये नर्सरी से लेकर एम.ए., बी.एड. तक की शिक्षा हेतु जगद्गुरु कृपालु महिला महाविद्यालय, कुण्डा, जिला-प्रतापगढ़, उ.प्र. की भी स्थापना की गई है, जहाँ हज़ारों बालिकाओं को पूर्णतः निःशुल्क शिक्षा एवं आर्थिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
अतः ‘जगद्गुरु कृपालु परिषत्’ गरीबों, असहायों की सेवा के लिये सदैव ही समर्पित है और रहेगी।